बूंदों की बौछार

बूंदों की बौछार में जब सावन आता है,

धरती की हरियाली से मन खिल जाता है।

बादलों की गड़गड़ाहट, बिजली का खेल,

मन में उमंग और दिल में नया मेल।

बारिश की बूंदें जैसे मोती की माला,

धरती पे बिछती, हर ओर खुशी का उजाला।

पर्वत और नदियाँ भी झूम उठते हैं,

बरसात की इस रुत में सब महक उठते हैं।

नदियों का संगम, झरनों की फुहार,

सावन की इस रुत में मन करता है प्यार।

पक्षियों का चहचहाना, मोरों का नृत्य,

बरसात की इस रुत में सबकुछ लगता है सत्य।

प्रकृति का यह रूप बड़ा ही प्यारा है,

सावन की फुहार में दिल हमारा हारा है।

दयानिधि कहे, इस रुत का हर पल प्यारा है,

बरसात की बूँदों में बसा एक सपना हमारा है।

Published by Dayanidhi Bagartee

I am Dayanidhi Bagartee.I am a Botany lecturer.I also write poems and lyrics.

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